।...बेटियां...। हँसती खिलखिलाती भागती दौड़ती..., छन-छन करती उनकी कानों की बाली.., होती हें घर की रौनक ये बेटियां...। आँखो मे गहरा काजल लिये.., पैरों मे हो छम-छम करती पायलियां.., अपने बाबा के दिल का टुकड़ा होती हे ये बेटियां...।। हाथों मे हो खन-खन करती चुडियां.., माथे पर हो वो निखरी हुई बिंदिया..., पता नही क्यों हो जाती इतनी जल्दी बड़ी ये बेटियां....।।। विवाह के बंधन मे जब बंधती हे वो.., सिंदूर से अपना सिंगार करती हें वो। हो जाती हें एक पल मे पराई.., सात फेरों का चक्रव्यूह जब रचती हें ये बेटियां.....।।।। एक पल मे अपनी होती हें ये.., फिर दूसरे पल मे पराया क्यों हो जाती हें। एक घर को संभालते-संभालते .., वो दूसरा घर संभालने क्यों लग जाती हें। क्यों बन जाती हें अपने बाबुल के आँसू की लड़ी ये बेटियां......।।।।। कभी घर-घर जो खेला करते थे बचपन मे..., किसी और का घर संसार बनाने चल पड़ती हें वो..। जो कभी हँसते खिलखिलाते हुए चेहरे हुआ करते थे.., पत्नी धर्म का पालन करने निकल पड़ते हें वो..।।।।।। सूना पड़ जाता हे वो घर संसार.., जहाँ पायलों की झनकार हुआ करती थी..। याद करके रोते हें वो माँ बाप भी.., जिनके पास एक बेटी हुआ करती थी..।।।।।।। दोंनों घरों की रौनक होती हें वो.., अपनी खुशीयों को हथेली पर रख.., छोड़ती हें अपने बाबुल का घर ये बेटियां......।।।।।।।। #NojotoQuote #google #poem #collab #poetry #betiyan