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प्रथम प्रयास है कृपया पूरी कहानी पढ़ियेगा आपका प्य

प्रथम प्रयास है कृपया पूरी कहानी पढ़ियेगा 
आपका प्यार, सुझाव, 
आलोचना सादर आमंत्रित हैं 


Dr.Vishal Singh  #yourquotedidi

.........ना जाने कितने दिन से बस यहीं सिलसिला चलता आ रहा था..... अब तो हर शाम की यही कहानी थी I अंजुम(काल्पनिक नाम) नाम था उसका जिसे प्यार से मैं लड्डू बुलाया करता था ... उससे पहले उसकी शरारती आंखें मुझसे सब कुछ कह जाती थी और जब उन आँखों में बारीक बारीक काजल होता...शुभानअल्लाह किसी हूर से कम नहीं थी वो I
पहली बार उसे अपने कालेज में मिला था... सुना था पहली नजर का प्यार होता है शायद वहीं हो गया... दिल तो काबू में ही नहीं था... ना जाने कितनी अभिलाषाएं दिल के समुन्दर में हिलोरें ले रही थी। भला दोस्तों से यह बात कहाँ छुपी रह सकती थी कि हमें प्यार हो गया है... खुद जो बता दिया था आखिर बचपन के दोस्त थे भाई... उन्होंने भी खूब दोस्ती निभाई .. जब देखो उसी का जिक्र और ये जिक्र ऐसा काम कर गया जैसे फेविकोल का मजबूत जोड़ लग गया .... हा... हा आज सोचता हूं तो बड़ी हसीं आतीं है। फिर एक दिन मौका देखकर प्यार का इजहार कर ही दिया ... कहा कविता सुनेंगी हमारी मूक स्वीकृति मिलते ही कर दिया प्यार का इजहार ... कह दिया प्यार करते है तुमसे.... हाय चेहरा तो देखने बाला था मोहतरमा का , शर्म से एम दम लाल...।
धीरे धीरे यह वक्त भी निकलता गया और प्यार का छोटा सा पौधा अब दरख्त बन चुका था जैसा सब कहानियों में होता है यहाँ भी हुआ साथ जीने मरने की कसमे खाई .... अब वो समय भी आ गया जब हमें बिछङना था. कालेज की पढाई अब खत्म हो चुकी थी और उसे अपने शहर जाना पड़ा.... पर रुकिये यह कहानी आगे बढेगी अभी । जाते जाते एक वादा ले लिया उसने , कहां पापा नहीं माने हमारे रिश्ते को तो मैं विरोध नही कर पाउंगी.... फिर क्या था कर दिया वादा प्यार किया था जनाब उसकी खुशी पहले और प्यार का मतलब यही तो है कि सामने बाला खुश रहे बस.... कैसा जीतना इसमें ... उसके आगे हार जाऊ बस यही बहुत था।
इस कहानी का हम दोनों के अलावा एक महत्वपूर्ण पात्र और था जिसे मैं और मेंरे मित्र मेरा कबूतर बुलाया करते थे और कबूतर क्यो ना बुलाये भाई ... प्यार के पैगाम इधर से उधर जो किया करता था। पर इस कबूतर ने एक ऐसा पैगाम ला दिया कि एक पल में सब कुछ बदल गया... शादी तय हो गयी थी मोहतरमा की ... अब आप लोग सोचोगे मैं कहुंगा की मेरे पैरों तले जमीन निकल गर्ई .. आसमान फट गया पर आप यकीन मानिये ऐसा कुछ नहीं हुआ मेरे साथ... बस एकदम से अवाक रह गया अचानक से सारे सपनों को बिखरता देख रहा था... पर एकदम से सारी ताकत बटोरी और गया बाजार लगाया उसे फोन.... आज खनकती आवाज थोड़ा काप रही थी.... कहा हैलो... मैने भी कहा बधाई हो... उधर से आवाज आई पता चल गया आपको...6 दिन बाद शादी है ...आओगे ना... क्या कहता बस हस दिया.... ओर काट दिया फोन । हो गया मैरे जीवन का एक अध्याय समाप्त ओर बीत गए कई ओर बर्ष ।
आज पड़ोस की खामोशी एकदम से खत्म हो गर्ई थी पता चला कोई पड़ोस में सामने रहने आया है.... दिन भर शोरगुल... प्यारी प्यारी सी आवाज़ आने लगी I उत्सुकुता हुई क्यों ना जाकर देखा जाये आखिर आया कौन हैं भाई पर बहाना कहा से लाऊ जाने का । बडी कश्मकश में था अचानक याद आया क्यो ना उन्हें जाकर बताया जाये कि बच्चे का दाखिला हमारी संगीत शाला में करा दे आखिर पापी पेट का भी सवाल है, तो फिर क्या था पहुँच गए हम...दरवाजा खटखटाया , दरवाजा खुला तो देखकर हसे या रोये समझ नही आ रहा था... ये तो हमारा लड्डू था अब आप पूछोगे भाई रोना तो समझा पुरानी मोहब्बत थी पर हसीं क्यों ? सही सवाल है आपका तो में आपको बता दूं पतला सा लड्डू आज काफी मोटा हो चुका था क्योंकि मजाक में तो मोटो कह देता तो आसमान सर पर.. खैर यह तो मजाक था खुश था उसे देख कर इसलिए नही की वो सामने खड़ी थी इसलिए कि वो खुश थी ... पता चला मियां डाक्टर है उसके ओर बहुत प्यार करते हैं, अच्छा घर , अच्छी बड़ी सी एक गाड़ी और प्यारी सी एक बेटी जिसका नाम वैशाली रखा है उसने.... नहीं समझे आप लोग.. रुकिये में समझाता हूँ ... ज़नाव उसने भुलाया नहीं है अपना वादा कि बेटी का नाम तो वैशाली ही होगा । पवित्र प्यार था हमारा जो सिर्फ दिल का दिल से था.... एक एहसास था दोनों के मध्य में... तो अब समझे न आप विशाल... वैशाली जिसे प्यार से लड्डू कहते है सब... खैर दाखिला हो गया है हमारी संगीत शाला में बड़ा मीठा सा लड्डू है और हमसे प्यार भी बहुत करने लगा है खैर हमारी संगीतशाला के सभी बच्चे प्यार करते है हमसे पर इस लड्डू का तो कहना ही क्या.. अब आप लोग कोई विपरीत अर्थ ना निकाल बैठना... भगवान ने इस प्रकृति में एक बड़ी प्यारी चीज बनाई है और वो है प्यार बस वहीं लुटा रहा हूं आज कल.. अब आलम ये है कि इस छोटे से लड्डू और मैरे प्यार के चर्चे पूरे मोहल्ले में मशहूर हो गये है और हर शाम का आलम यह हे कि बस अब सब यहीं कहा करते है.....
" वो दरवाजे पर खड़ी थी
प्रथम प्रयास है कृपया पूरी कहानी पढ़ियेगा 
आपका प्यार, सुझाव, 
आलोचना सादर आमंत्रित हैं 


Dr.Vishal Singh  #yourquotedidi

.........ना जाने कितने दिन से बस यहीं सिलसिला चलता आ रहा था..... अब तो हर शाम की यही कहानी थी I अंजुम(काल्पनिक नाम) नाम था उसका जिसे प्यार से मैं लड्डू बुलाया करता था ... उससे पहले उसकी शरारती आंखें मुझसे सब कुछ कह जाती थी और जब उन आँखों में बारीक बारीक काजल होता...शुभानअल्लाह किसी हूर से कम नहीं थी वो I
पहली बार उसे अपने कालेज में मिला था... सुना था पहली नजर का प्यार होता है शायद वहीं हो गया... दिल तो काबू में ही नहीं था... ना जाने कितनी अभिलाषाएं दिल के समुन्दर में हिलोरें ले रही थी। भला दोस्तों से यह बात कहाँ छुपी रह सकती थी कि हमें प्यार हो गया है... खुद जो बता दिया था आखिर बचपन के दोस्त थे भाई... उन्होंने भी खूब दोस्ती निभाई .. जब देखो उसी का जिक्र और ये जिक्र ऐसा काम कर गया जैसे फेविकोल का मजबूत जोड़ लग गया .... हा... हा आज सोचता हूं तो बड़ी हसीं आतीं है। फिर एक दिन मौका देखकर प्यार का इजहार कर ही दिया ... कहा कविता सुनेंगी हमारी मूक स्वीकृति मिलते ही कर दिया प्यार का इजहार ... कह दिया प्यार करते है तुमसे.... हाय चेहरा तो देखने बाला था मोहतरमा का , शर्म से एम दम लाल...।
धीरे धीरे यह वक्त भी निकलता गया और प्यार का छोटा सा पौधा अब दरख्त बन चुका था जैसा सब कहानियों में होता है यहाँ भी हुआ साथ जीने मरने की कसमे खाई .... अब वो समय भी आ गया जब हमें बिछङना था. कालेज की पढाई अब खत्म हो चुकी थी और उसे अपने शहर जाना पड़ा.... पर रुकिये यह कहानी आगे बढेगी अभी । जाते जाते एक वादा ले लिया उसने , कहां पापा नहीं माने हमारे रिश्ते को तो मैं विरोध नही कर पाउंगी.... फिर क्या था कर दिया वादा प्यार किया था जनाब उसकी खुशी पहले और प्यार का मतलब यही तो है कि सामने बाला खुश रहे बस.... कैसा जीतना इसमें ... उसके आगे हार जाऊ बस यही बहुत था।
इस कहानी का हम दोनों के अलावा एक महत्वपूर्ण पात्र और था जिसे मैं और मेंरे मित्र मेरा कबूतर बुलाया करते थे और कबूतर क्यो ना बुलाये भाई ... प्यार के पैगाम इधर से उधर जो किया करता था। पर इस कबूतर ने एक ऐसा पैगाम ला दिया कि एक पल में सब कुछ बदल गया... शादी तय हो गयी थी मोहतरमा की ... अब आप लोग सोचोगे मैं कहुंगा की मेरे पैरों तले जमीन निकल गर्ई .. आसमान फट गया पर आप यकीन मानिये ऐसा कुछ नहीं हुआ मेरे साथ... बस एकदम से अवाक रह गया अचानक से सारे सपनों को बिखरता देख रहा था... पर एकदम से सारी ताकत बटोरी और गया बाजार लगाया उसे फोन.... आज खनकती आवाज थोड़ा काप रही थी.... कहा हैलो... मैने भी कहा बधाई हो... उधर से आवाज आई पता चल गया आपको...6 दिन बाद शादी है ...आओगे ना... क्या कहता बस हस दिया.... ओर काट दिया फोन । हो गया मैरे जीवन का एक अध्याय समाप्त ओर बीत गए कई ओर बर्ष ।
आज पड़ोस की खामोशी एकदम से खत्म हो गर्ई थी पता चला कोई पड़ोस में सामने रहने आया है.... दिन भर शोरगुल... प्यारी प्यारी सी आवाज़ आने लगी I उत्सुकुता हुई क्यों ना जाकर देखा जाये आखिर आया कौन हैं भाई पर बहाना कहा से लाऊ जाने का । बडी कश्मकश में था अचानक याद आया क्यो ना उन्हें जाकर बताया जाये कि बच्चे का दाखिला हमारी संगीत शाला में करा दे आखिर पापी पेट का भी सवाल है, तो फिर क्या था पहुँच गए हम...दरवाजा खटखटाया , दरवाजा खुला तो देखकर हसे या रोये समझ नही आ रहा था... ये तो हमारा लड्डू था अब आप पूछोगे भाई रोना तो समझा पुरानी मोहब्बत थी पर हसीं क्यों ? सही सवाल है आपका तो में आपको बता दूं पतला सा लड्डू आज काफी मोटा हो चुका था क्योंकि मजाक में तो मोटो कह देता तो आसमान सर पर.. खैर यह तो मजाक था खुश था उसे देख कर इसलिए नही की वो सामने खड़ी थी इसलिए कि वो खुश थी ... पता चला मियां डाक्टर है उसके ओर बहुत प्यार करते हैं, अच्छा घर , अच्छी बड़ी सी एक गाड़ी और प्यारी सी एक बेटी जिसका नाम वैशाली रखा है उसने.... नहीं समझे आप लोग.. रुकिये में समझाता हूँ ... ज़नाव उसने भुलाया नहीं है अपना वादा कि बेटी का नाम तो वैशाली ही होगा । पवित्र प्यार था हमारा जो सिर्फ दिल का दिल से था.... एक एहसास था दोनों के मध्य में... तो अब समझे न आप विशाल... वैशाली जिसे प्यार से लड्डू कहते है सब... खैर दाखिला हो गया है हमारी संगीत शाला में बड़ा मीठा सा लड्डू है और हमसे प्यार भी बहुत करने लगा है खैर हमारी संगीतशाला के सभी बच्चे प्यार करते है हमसे पर इस लड्डू का तो कहना ही क्या.. अब आप लोग कोई विपरीत अर्थ ना निकाल बैठना... भगवान ने इस प्रकृति में एक बड़ी प्यारी चीज बनाई है और वो है प्यार बस वहीं लुटा रहा हूं आज कल.. अब आलम ये है कि इस छोटे से लड्डू और मैरे प्यार के चर्चे पूरे मोहल्ले में मशहूर हो गये है और हर शाम का आलम यह हे कि बस अब सब यहीं कहा करते है.....
" वो दरवाजे पर खड़ी थी