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शर्म रह गई खाली बातों में, लाज किसे कहते हैं अब, द

शर्म रह गई खाली बातों में, लाज किसे कहते हैं अब,
दर्द खो गया निर्दयी हाथों में , सबको अपने से है मतलब।
मानवता धूमिल रातों में, हर रोज़ छिपाई जाती है,
तुझे क्या लगा ऐ तूफां,  नहीं तेरे बिन तबाही आती है।।

भोग विलास बस रहा संतों में, पाखंड ज्ञान की परिभाषा है,
धर्म सो रहा ग्रंथों में, धन दौलत सबकी अभिलाषा है।
यहां राम रहीम के झगड़ों से, कुर्सियां कमाई जाती हैं,
तुझे क्या लगा ऐ तूफां, नहीं तेरे बिन तबाही आती है।।

सोच थी बुराई की, पर सच्चाई का निसंकोच संहार किया,
निर्धन निर्बल पर निर्ममता से, निरर्थक ही प्रहार किया।
जग जननी औरत भी यहां, निर्भयता से सताई जाती है,
निरंतर अत्याचार के बाद भी वो, बस निर्भया कहलाई जाती है,
न्याय पाने की उम्मीद उसे, अब भी बरसों तक सताती है,
यही समाज का स्वार्थ है अब,और यही समाज की ख्याती है,
तुझे क्या लगा ऐ तूफां, नहीं तेरे बिन तबाही आती है ‌।। #shaayavita #tabaahi #toofan #nojoto
शर्म रह गई खाली बातों में, लाज किसे कहते हैं अब,
दर्द खो गया निर्दयी हाथों में , सबको अपने से है मतलब।
मानवता धूमिल रातों में, हर रोज़ छिपाई जाती है,
तुझे क्या लगा ऐ तूफां,  नहीं तेरे बिन तबाही आती है।।

भोग विलास बस रहा संतों में, पाखंड ज्ञान की परिभाषा है,
धर्म सो रहा ग्रंथों में, धन दौलत सबकी अभिलाषा है।
यहां राम रहीम के झगड़ों से, कुर्सियां कमाई जाती हैं,
तुझे क्या लगा ऐ तूफां, नहीं तेरे बिन तबाही आती है।।

सोच थी बुराई की, पर सच्चाई का निसंकोच संहार किया,
निर्धन निर्बल पर निर्ममता से, निरर्थक ही प्रहार किया।
जग जननी औरत भी यहां, निर्भयता से सताई जाती है,
निरंतर अत्याचार के बाद भी वो, बस निर्भया कहलाई जाती है,
न्याय पाने की उम्मीद उसे, अब भी बरसों तक सताती है,
यही समाज का स्वार्थ है अब,और यही समाज की ख्याती है,
तुझे क्या लगा ऐ तूफां, नहीं तेरे बिन तबाही आती है ‌।। #shaayavita #tabaahi #toofan #nojoto
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