शीर्षक (जिम्मेदारियां)। सुबह 10:00 बजे पापा की डांट सुनने के बाद उठने वाला लड़का अब बिना किसी के कुछ कहे सुबह 5:00 बजे ही उठने लगा है। शायद उससे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। सुबह उठते ही बिस्तर में जिसको चाहे चाहिए होती थी आज बिना नाश्ते के ही हो ऑफिस जल्दी निकलने लगा है शायद उसे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। खाने में हजारों नखरे करने वाला लड़का अब जैसा बनता है खा लेता है ।और देर रात तक जगने वाला अब जल्दी सोने लगा है ।शायद उसे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। दोस्तों के साथ पार्टियों में हजारों रुपए उड़ाने वाला आज महीने की 10000 की तनख्वाह से भी कुछ बचाने लगा है शायद उसे जिम्मेदारियों का अहसास होने लगा है। घंटों दोस्तों के साथ बैठकर समय खराब करने वाला अब हर सेकेंड का हिसाब रखने लगा है अपने स्वयं के स्वपन को हकीकत करने के लिए सोचने वाला पापा के सपनों को सच करने में लगा है शायद उससे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। शायद उसे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है।। रविकांत शर्मा ©Rk Sharma जिम्मेदारियां।✍️ रविकांत शर्मा। #withyou