ये जिंदगी तुझे हकीकत से मिलाऊँगा मैं हर रोज चाहे वो ख़ाब बन गई है तो क्या हुआ मेरे हिस्से का सबकुछ अब किस्से में है पर अब वो माहताब़ बन गई है तो क्या हुआ ? (माहताब़-चाँद) ये जिंदगी तुझे हकीकत से मिलाऊँगा मैं हर रोज चाहे वो ख़ाब बन गई है तो क्या हुआ मेरे हिस्से का सबकुछ अब किस्से में है पर अब वो माहताब़ बन गई है तो क्या हुआ ? #EveryDreamComesTrue #JustNeedsTrueDedication