भली हूँ बुरी हूँ जैसी हूँ आइने सी सीरत रखती हूँ गर भाऊँ तेरे मन को तो तारीफ मेरी फिर मुँह पे करो गर न भाऊँ तेरे मन को तो जो कहना है मुँह पे कहो तेरे मेरे से कहने से कुछ न किसी को हासिल होगा बदलाव जो मुझमे चाहो तुम बेहतर है मेरे मुँह पे कहो #जो कहना है