हाँ..................................... मैं मुसीबत हूँ........................!!!!!! बचपन से लेकर आजतक............... सबके लिए मुसीबत ही तो हूँ.......!! जन्म हुआ तो............... माँ के लिए मुसीबत बन गई.......... जन्म लेते ही जो माँ को निगल गई.......... माँ का चेहरा कभी देखा नहीं.......... मुझे संभालना बाबुजी के लिए............. मुसीबत हो गई...........!!! मैं अभागन, मैं कलुषित हूँ, हाँ................मैं मुसीबत हूँ...............!!!!!! बेटे की चाह थी सबको........... बेटी पैदा हो गई.................... यूँ तो बेटी लक्ष्मी का रूप होती है.......... शायद मैं अलक्ष्मी बन कर आ गई.......... सिनेमा.... टीवी.....विज्ञापनों से जाना है........ गोरा रंग ही............... सुंदरता का प्रतीक है आजके समाज में........ मैं माँ काली समः,,,.............. काली हूँ.............. बदसूरत हूँ........... हाँ................मैं मुसीबत हूँ................!!!!!! लोगों के तानों के डर से................ घर की चौखट के अंदर ही रही.......... कभी बाहर कदम न रक्खा.......... कभी घर की दहलीज न लांघी......... फिर........... जब............. घर की दहलीज़ लांघकर................ खुले आसमाँ में पँख फैलाकर.......... उड़ने की खातिर जो पँख फैलाई....... भईया के लिए मुसीबत बन गई.......... उनके लिए इज्जत नहीं मैं रोज़ की फज़ीहत हूँ............ हाँ....................मैं मुसीबत हूँ...................!!!!!! जीवनसाथी का हाथ थामकर............ संग चली दुनिया देखन की चाह लेकर.......... जो अभीतक थी घर के अंदर.............. पहली दफ़ा निकली बाहर.................. लोगों की ओछी नज़रें घेरे मुझे............. रँग रूप पे...................... करते टिप्पणियाँ................ देते ताने................. शायद.................. परिणामस्वरूप न ले जाएं वो संग अपने........ मैं वही परिणाम अघोषित हूँ....................... हाँ........................मैं मुसीबत हूँ....................!!! बच्चे भी करते अवहेलना.................. यार दोस्तों की माँओं से करते तुलना........ न रँग रूप, न सजना-संवरना.................... माथे पे घूँघट, सिंदूर, काज़ल ही कामना...... अंग्रेजी अक्षरों का कम ज्ञान होना............ शुद्ध हिन्दी सुन शिक्षकों चक्कर आना.......... PTM न अंग्रेजी बोल पाना................ मैं विलुप्तप्राय प्राणी सी.............. इस ज़माने संग चलने में असमर्थ हूँ......... हाँ....................मैं मुसीबत हूँ...........................!!!!! ©Priyanjali हाँ..............मैं मुसीबत हूँ..............!!!!!! बचपन से लेकर आजतक सबके लिए मुसीबत ही तो हूँ.......!! जन्म हुआ तो............... माँ के लिए मुसीबत बन गई.......... जन्म लेते ही जो माँ को निगल गई....... माँ का चेहरा कभी देखा नहीं, मुझे संभालना बाबुजी के लिए मुसीबत हो गई.......!!!