जिस दिन ख़ुदा की अदालत लगेगी , तुम्हें कटघरे में आना तो पड़ेगा, छुप जाते हैं झूठ दुनिया में माना मगर सच वहां बताना तो पड़ेगा, मेरी पैरवी मेरी आंखें करेंगी , हर आंसू का मेरे जुर्माना तो पड़ेगा, न शिकवा न शिकायत न कोई बहाना चलेगा, तुम्हें अपनी हर ख़ता को अपनाना तो पड़ेगा, फरेबों की दुनिया है जीत गए तुम, वहां मगर हार जाना तो पड़ेगा, ख़ताएं बेशक गिना दो यहां सबको मेरी, वहां मगर हकीकत को सुनाना तो पड़ेगा, जवाब बहुत से दिए हैं यहां तुमने मगर वहां मेरे हर सवाल पर अपनी नज़रों को झुकना तो पड़ेगा, मेरी गवाही तो वो रातें देंगी तारों को भी मौजूदगी का एहसास कराना तो पड़ेगा, दुनिया में तो हर कुसूरवार बेकसूर है मगर वहां तुमको अपना दामन बचाना तो पड़ेगा..., "जिस दिन ख़ुदा की अदालत लगेगी, तुम्हें कटघरे में आना तो पड़ेगा"...