मजबूरी वक्त गुजरता चला जाएगा यूँ ही धीरे-धीरे। बात लबों तक न आएगी हमको पता है। जख्म भी गहरा है भरेगा न इस जिंदगी में। मजबूर दिल के हाथों हैं फ़िर किसकी ख़ता है? #mazburi