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*अनुभव* स्वार्थ वश जो अपनापन जताते हैं वो चार दिन

*अनुभव*
स्वार्थ वश जो अपनापन जताते हैं वो चार दिन में गायब भी हो जाते हैं, इसलिए शुरुआती दोस्ती में मन नहीं लगाना चाहिए ना ही विश्वास करना चाहिए, परिचय जितना पुराना होगा, विश्वास और स्थायित्व भी उसी व्यक्ति से खरा हो सकता है... लेकिन सतर्कता फिर भी जरूरी क्योंकि धोखा हमेशा वही देता है जो रग-रग से वाकिफ होता है। इसलिए ईश्वर को ही ईष्ट बनाओ और उनको ही अभीष्ट भी । ये अनुभव अपने जीवन में सभी को कभी ना कभी हो ही जाता है। कुछ विरले ही होते हैं जो औरों के अनुभव से सीख लेते हैं और वही अक्लमंद हैं बाकी सब अक्लबंद .... क्योंकि काम करके पछताना मूर्खता ही है। कुछ भी करने के पहले दस बार सोचो समझ में आता है। काम करने के बाद का सोचना समय की बर्बादी है। यही बर्बादी रोकने के लिए साहित्य सृजन किया जाता है। इसलिए श्रेष्ठ साहित्य का अध्ययन करते रहना चाहिए।
✍️ प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
    सागर मध्यप्रदेश भारत
(17 अक्टूबर 2023)

©Pratibha Dwivedi urf muskan
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