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ऐ जिन्दगी अब भी कुछ बाकी है क्या, की घर मेरा अब घर

ऐ जिन्दगी अब भी कुछ बाकी है क्या,
की घर मेरा अब घर सा नहीं लगता।

कहने को अपने तो बहुत है ,
अब अपनों के बीच अपना सा नहीं लगता।

ये पुरानी किताबें अब मैं पलटने लगा हूं,
तुझसे रिश्ता मेरा खानदानी सा नहीं लगता।

मेरी रूह भी अब मुझसे पर्दा करने लगी है,
खुद को बेचना भी मुझे बेईमानी सा नहीं लगता।

दिल का दर्द मेरी आंखों में आकर सूख गया,
मेरा ही दर्द अब मुझे अपना सा नहीं लगता।

ऐ जिन्दगी अब भी कुछ बाकी है क्या,
की घर मेरा अब घर सा नहीं लगता। 🍁🍁🍁🤐🤐🤐

#घरकीवीरानी #अपनाक्याहै #yqdidiquotes #collabwithकोराकाग़ज़ #कलम #जींदगी_की_हकिकत
ऐ जिन्दगी अब भी कुछ बाकी है क्या,
की घर मेरा अब घर सा नहीं लगता।

कहने को अपने तो बहुत है ,
अब अपनों के बीच अपना सा नहीं लगता।

ये पुरानी किताबें अब मैं पलटने लगा हूं,
तुझसे रिश्ता मेरा खानदानी सा नहीं लगता।

मेरी रूह भी अब मुझसे पर्दा करने लगी है,
खुद को बेचना भी मुझे बेईमानी सा नहीं लगता।

दिल का दर्द मेरी आंखों में आकर सूख गया,
मेरा ही दर्द अब मुझे अपना सा नहीं लगता।

ऐ जिन्दगी अब भी कुछ बाकी है क्या,
की घर मेरा अब घर सा नहीं लगता। 🍁🍁🍁🤐🤐🤐

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