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मुस्कराहट मेरे खुदा मुझसे क्यों छीनी है मुझे क्यो

मुस्कराहट मेरे खुदा मुझसे क्यों छीनी है
 मुझे क्यों ये बेबसी भरी ज़िन्दगी और जीनी है

जहाँ को सारे छोड़ कर मुझपर ये इनायात कैसी
 मेरे जिस्म से लिबास तक अजीब ही एक बेचैनी है

 तेरा मुझसे माना अजीब मज़ाक रहा है
 तूने ख़ुशी मेरे दरवाज़े पर लाकर छीनी है


मै भी तो तेरा ही बन्दा तू मुझसे बेख़बर 
एक ज़माना हुआ कब तक ये बेख़बरी रेहनी है

माफ़ी मांग रहा हूँ सारिम कब से रब से
 तुझको ही तो मुझे इस अज़ीयत से बख्शिश देनी है

©Mohammad sarim #sadShayari #allah #God #Khuda #Dard #ghazal #ummid #Zindagi 

#Hopeless
मुस्कराहट मेरे खुदा मुझसे क्यों छीनी है
 मुझे क्यों ये बेबसी भरी ज़िन्दगी और जीनी है

जहाँ को सारे छोड़ कर मुझपर ये इनायात कैसी
 मेरे जिस्म से लिबास तक अजीब ही एक बेचैनी है

 तेरा मुझसे माना अजीब मज़ाक रहा है
 तूने ख़ुशी मेरे दरवाज़े पर लाकर छीनी है


मै भी तो तेरा ही बन्दा तू मुझसे बेख़बर 
एक ज़माना हुआ कब तक ये बेख़बरी रेहनी है

माफ़ी मांग रहा हूँ सारिम कब से रब से
 तुझको ही तो मुझे इस अज़ीयत से बख्शिश देनी है

©Mohammad sarim #sadShayari #allah #God #Khuda #Dard #ghazal #ummid #Zindagi 

#Hopeless