मेरी परछाई मुझे मेरी परछाई ने मुझे बताया , कि .. मुझे अकेले क्यों चलना चाहिए। एक दिन मैं ,मेरी तन्हाई,और मेरी परछाई, साथ चल रहे थे, तन्हाई ने मुझे किसी की याद दिला कर बहुत बेचैन किया, जब मैं अचानक परेशां होकर चलने लगी तब लगा कोई साथ चल रहा हैं वो कोई और नही थी, बल्कि मेरी हमसफ़र मेरी परछाई थी। जिसने कहा सुन पगली, अकेले चलना सीख ले क्यों कि शाम ढले मैं भी तेरा साथ छोड़ दूँगी इस दुनियां में अकेली आयी है तू और तुझे अकेले ही जाना होगा। मैं परछाई हूँ, जहाँ धूप है वहाँ मेरा साया है और जहाँ छाया हैं वहाँ तूने मुझे कब पाया है। मेरी परछाई