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White कोई ख़बर भी न भेजी बहार ने आते कि हम भी क़िस

White कोई ख़बर भी न भेजी बहार ने आते
कि हम भी क़िस्मत-ए-मिज़्गाँ सँवारने आते

फिर आरज़ू से तक़ाज़ा-ए-रस्म-ओ-रह होता
निगह पे क़र्ज़ थे जितने उतारने आते

ये ज़िंदगी है हर इक पैरहन में सजती है
नहीं थी जीत नसीबों में हारने आते

कोई शरर कोई ख़ुश्बू कि दिल न बुझ जाए
किसी भी नाम से ख़ुद को पुकारने आते

अभी यहाँ तो नहीं हो सकी हिकायत-ए-जाँ
नए वरक़ पे नए नक़्श उभारने आते

कभी ग़ुबार कभी नक़्श-पा-ए-राह-रवाँ
वो रहगुज़र थी कि हर रूप धारने आते

मिरा सुकूँ भी मिरे आँसुओं के बस में था
ये मेहमाँ मेरी दुनिया निखारने आते

जो हम नहीं तो सर-ए-रहगुज़ार-ए-दर्द 'अदा'
वो कौन थे जो दिल-ओ-जाँ को वारने आते

©Jashvant
  Good Evening With Gazal Geet... Chanda Manshi Sahu R... Ojha Ek Alfaaz Shayri
jashvant2251

Jashvant

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Good Evening With Gazal Geet... Chanda Manshi Sahu @R... Ojha @Ek Alfaaz Shayri #Life

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