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मुक्तक (1) डूबती हुई मेरी कश्ती का वो किनारा है ड

मुक्तक
(1) 
डूबती हुई मेरी कश्ती का वो किनारा है
डूबने  से ही बचा ले वो इक सहारा है
जब जब भी मुसीबतों ने मुझे घेरा है
मैंने बस खाटू वाले बाबा को पुकारा है
(2) 
लड़खडाते हुए को तुम ही सहारा दे दो
अपने दीदार का मुझको भी नजारा दे दो
खाटू धाम में मिलतीं जो दुनिया की खुशी
हमें खुशियों का वही बाबा पिटारा दे दो

©kavi pawan Sen
  #Butterfly jay khatu shyaam

#Butterfly jay khatu shyaam #कविता

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