ले मिलेगा उर अचंचल वेदन-जल, स्वप्न शतदल जान लो यह मिलन एकाकी विरह में है दुकेला! पंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला! #महादेवी_वर्मा ©river_of_thoughts #पंथ_होने_दो_अपरिचित_प्राण_रहने_दो_अकेला #महादेवी_वर्मा_जी #Moon