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किसी को पुरखों की ज़मीन बेचकर भी चैन नहीं,कोई गुब्

किसी को पुरखों की ज़मीन बेचकर भी चैन नहीं,कोई गुब्बारे बेचकर ही सो गया सुकून से। कतरा- कतरा पाने की चाह में दीवारें खड़ी हैं आज रिश्तों के बीच, कहीं घरौंदे के लिए एक ईंट भी मुकम्मल नहीं।महलों की शानो शौकत भी मुस्कुराने की वजह न सिखा पाई कहीं,                                 किसी ने फुटपाथ को ही अपनी खुशकिस्मती समझ लिया।                                     Try to be as soft as possible in terms of thinking.....Be humble🙏
किसी को पुरखों की ज़मीन बेचकर भी चैन नहीं,कोई गुब्बारे बेचकर ही सो गया सुकून से। कतरा- कतरा पाने की चाह में दीवारें खड़ी हैं आज रिश्तों के बीच, कहीं घरौंदे के लिए एक ईंट भी मुकम्मल नहीं।महलों की शानो शौकत भी मुस्कुराने की वजह न सिखा पाई कहीं,                                 किसी ने फुटपाथ को ही अपनी खुशकिस्मती समझ लिया।                                     Try to be as soft as possible in terms of thinking.....Be humble🙏
nidhipant2890

Nidhi Pant

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