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रात भर इक चांद का साया रहा मैं उसके साये में जैसे

रात भर इक चांद का साया रहा
मैं उसके साये में जैसे नहाता रहा
तारों में चंचल चमक
आकाश‌ गंगा जैसे चांदी का खनन
रात की कोमलता जैसे रेशमी आंचल
यही है  वजह जिससे
‌रात में फूटते हैं नवांकुर।‌।

©Mohan Sardarshahari
  फूटते हैं नवांकुर

फूटते हैं नवांकुर #ज़िन्दगी

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