नीले नभ में नीले सपने जब मुखरित हो उठते सांध्य रश्मियों से विम्बित हो स्वर्गिक श्री सुख देते . जब दिखता वह देवलोक सा दूर पहाड़ी के ऊपर तब किसी प्रेमिका के आंखों में उसके प्रिय करवट लेते ः महेन्द्र जोशी