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अर्थ के नाम पे, अनर्थ तू है कर रहा, प्यार को मारके

अर्थ के नाम पे, अनर्थ तू है कर रहा,
प्यार को मारके, खुद है तू भी मर रहा,
पूजता था कल तलक, जिसको हां तू प्यार से,
आज उस प्यार का, नाम खाक कर रहा,

बीते कल हाथो में, गुलाब लेके जाता था,
थामे तेरा हाथ सोच, ख्वाब तू बनाता था,
जाता अब भी तू वहां, पर ना ये वो बात है,
आज क्यूं, हाथ में, तेरे ये तेज़ाब है,

तुझको भी खबर कहा़, क्या से क्या तू कर रहा।
नाम बस प्यार का, खाक तू है कर रहा।

©Ashutosh Kumar
  प्यार ख़ाक कर रहा।
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प्यार ख़ाक कर रहा। #dilwalibatchit #poeticaura872 #ashutoshdiary #BhaagChalo #ज़िन्दगी

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