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मैं:- हम इश्क़ करने वालों को फुरसत कहाँ जो अपने गम

मैं:- हम इश्क़ करने वालों को फुरसत कहाँ जो अपने गम लिखेंगे।
हम तो बस वो आशिक जो आज भी तेरी यादों के कुछ 'जख्म' लिखेंगे।।
वो:-जख्म कि याद न दिलाओ हम मर जायेंगे।
कभी तो 'पास 'आओ हम 'सवर' जायेंगे।।
मैं:-तुम सवर गयें तो इश्क़-ए-दुनिया में बवाल कौन करेगा।
हम पास आ गयें गर तुम्हारे तो मंदिर मे दुआ, और मज्जिद मे हमारे नाम की नवाज कौन पढे़गा।।
वो:-'खुदा 'की रहमत हो तो मुकम्मल हर जहान है।
मेरे इश्क के लिए तो तू ही खुदा है।
मैं:- मुझे खुदा न बनाओ इंसान रहने दो।
अपने हर जख्म के मुझमें निशान रहने दो।। #wo or mai or hmari bate# for you#
मैं:- हम इश्क़ करने वालों को फुरसत कहाँ जो अपने गम लिखेंगे।
हम तो बस वो आशिक जो आज भी तेरी यादों के कुछ 'जख्म' लिखेंगे।।
वो:-जख्म कि याद न दिलाओ हम मर जायेंगे।
कभी तो 'पास 'आओ हम 'सवर' जायेंगे।।
मैं:-तुम सवर गयें तो इश्क़-ए-दुनिया में बवाल कौन करेगा।
हम पास आ गयें गर तुम्हारे तो मंदिर मे दुआ, और मज्जिद मे हमारे नाम की नवाज कौन पढे़गा।।
वो:-'खुदा 'की रहमत हो तो मुकम्मल हर जहान है।
मेरे इश्क के लिए तो तू ही खुदा है।
मैं:- मुझे खुदा न बनाओ इंसान रहने दो।
अपने हर जख्म के मुझमें निशान रहने दो।। #wo or mai or hmari bate# for you#