क्या कहेंगे लोग, रुक सा जाते हैं चलते चलते थम सा जाते है यूं कदम बढ़ते बढ़ते। पता नहीं क्यूं , क्या कहेंगे लोग ये सोच कर इंसान अपना हौसला थाम सा लेता है अपने ज़िन्दगी में आगे बढ़ते बढ़ते। सच है ये इंसान की नियति कभी अपनों से तो कभी गैरों के डर से मुकाम पाते पाते रह जाते हैं लोग ये सोच कर की क्या कहगें लोग क्या कहेंगे लोग। क्या कहेंगे लोग