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#OpenPoetry कत्लेआम कर दिया:- उसने कत्लेआम कर दिया

#OpenPoetry कत्लेआम कर दिया:-
उसने कत्लेआम कर दिया ,मेरे अल्फाजों को
उसने बेजान कर दिया मेरी दिल की
धड़कन की आवाजों को
कहीं ना कहीं धड़कता था उसके लिए
दिल के लफ्ज़ ,पर अब नहीं
क्यों चोट पहुंचाया मेरे जज्बातों को 
क्यों चोट पहुंचाया मेरे जज्बातों को
मैं ठीक था अपने हाल पर
यू चल रहा था मैं अनजान रहा पर
थी मेरी शब्दों से दोस्ती गहरी
आज उसने उन शब्दों को भरी महफिल में 
बदनाम कर दिया , यू मेरे अल्फाजों को 
सरे कत्लेआम कर दिया
Performed by nishant #OpenPoetry 
#ekAlfazz
#OpenPoetry कत्लेआम कर दिया:-
उसने कत्लेआम कर दिया ,मेरे अल्फाजों को
उसने बेजान कर दिया मेरी दिल की
धड़कन की आवाजों को
कहीं ना कहीं धड़कता था उसके लिए
दिल के लफ्ज़ ,पर अब नहीं
क्यों चोट पहुंचाया मेरे जज्बातों को 
क्यों चोट पहुंचाया मेरे जज्बातों को
मैं ठीक था अपने हाल पर
यू चल रहा था मैं अनजान रहा पर
थी मेरी शब्दों से दोस्ती गहरी
आज उसने उन शब्दों को भरी महफिल में 
बदनाम कर दिया , यू मेरे अल्फाजों को 
सरे कत्लेआम कर दिया
Performed by nishant #OpenPoetry 
#ekAlfazz