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सुनसान खामोश रात खुद के कदम और परछाई भी डरावनी लग


सुनसान खामोश रात
खुद के कदम और परछाई भी
डरावनी लगती है
हर पल ऐसा लगता है
किसी भी ओर से
कोई तो आएगा
वो चोर डाकू लुटेरा
जंगली जानवर
भूत चुड़ैल
कुछ भी हो सकता है
चोर से अपने माल की
और भूत से अपनी जान की रक्षा किस तरह करूँगा
रास्ते भर बस यही सोचने में निकल गया
कि इनमें से कौन आएगा
मैं कैसे सामना करूँगा
कैसे पूरा इनसे निपट निपटा कर हीरो बन जाँऊगा कुछ रास्ते, कुछ सड़कें, कुछ मोड़ 
हमारे ज़ेहन में महफ़ूज़ हो जाते हैं।

#सूनीसड़क #collab #yqdidi 
...
YQ Sahitya पर पढ़ें हिंदी साहित्य की बेहतरीन रचनाएँ।  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

सुनसान खामोश रात
खुद के कदम और परछाई भी
डरावनी लगती है
हर पल ऐसा लगता है
किसी भी ओर से
कोई तो आएगा
वो चोर डाकू लुटेरा
जंगली जानवर
भूत चुड़ैल
कुछ भी हो सकता है
चोर से अपने माल की
और भूत से अपनी जान की रक्षा किस तरह करूँगा
रास्ते भर बस यही सोचने में निकल गया
कि इनमें से कौन आएगा
मैं कैसे सामना करूँगा
कैसे पूरा इनसे निपट निपटा कर हीरो बन जाँऊगा कुछ रास्ते, कुछ सड़कें, कुछ मोड़ 
हमारे ज़ेहन में महफ़ूज़ हो जाते हैं।

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