यह तन विष की बेलरी, गुरू अमृत कि खान शीश दिए जो गुरू मिले तो भी सस्ता जान।। बुरा जो देखन मै चला बुरा न मिलया कोय जो मन देखा आपना,मुझ से बुरा न कोय।। जाती न पूछो साधू कि,पूछ लिजीए ज्ञान मोल करो तलवार का पडा रहने दो म्यान।। ©Shivi@ #kabirkedohe #kabirjyanti..