रात अपने जोरो पर थी अकेली सुबक रही थी कोहरे के धुएँ सा उबल रही थी एक दिल से बिखर के दो आँखों से पिघल रही थी ऐसे वो अकेली रात खुद से मिल रही थी चाँद सितारे सब थे उसके पास फिर भी अँधेरे में जल रही थी जैसी कल होगी वैसी आज है और वैसी ही कल रही थी फिर भी सब कहते की वो हर रात बदल रही थी रात की भी रात होती है जब वो अकेले में रोती है #रात #darkness #kahani #akeli #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales