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रात अपने जोरो पर थी अकेली सुबक रही थी कोहरे के धुए

रात अपने जोरो पर थी
अकेली सुबक रही थी
कोहरे के धुएँ सा उबल रही थी
एक दिल से बिखर के
दो आँखों से पिघल रही थी
ऐसे वो अकेली रात
खुद से मिल रही थी
चाँद सितारे सब थे उसके पास
फिर भी अँधेरे में जल रही थी
जैसी कल होगी वैसी आज है
और वैसी ही कल रही थी
फिर भी सब कहते की
वो हर रात बदल रही थी रात की भी रात होती है
जब वो अकेले में रोती है 

#रात #darkness #kahani #akeli #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales
रात अपने जोरो पर थी
अकेली सुबक रही थी
कोहरे के धुएँ सा उबल रही थी
एक दिल से बिखर के
दो आँखों से पिघल रही थी
ऐसे वो अकेली रात
खुद से मिल रही थी
चाँद सितारे सब थे उसके पास
फिर भी अँधेरे में जल रही थी
जैसी कल होगी वैसी आज है
और वैसी ही कल रही थी
फिर भी सब कहते की
वो हर रात बदल रही थी रात की भी रात होती है
जब वो अकेले में रोती है 

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