तू ही बर्बाद करता है, तू ही आबाद करता है, अदावत में, लहू बहता है बस, नहीं कुछ खास होता है। दूर कर दो तीशांगी को, जो बहती है नस नस में, हसरत जब बड़ी है, एक कत्लेआम होता है। ©Senty Poet #katleaam #hasrat #no #Vo #Lo #Care #Hindi #urdu #KashmiriFiles