“हजारों रात का जागा हूँ सोना चाहता हूँ अब तुझसे मिल के मैं ये पलकें भिगोना चाहता हूँ अब बहुत ढूंढा है तुझ को खुद में इतना थक गया हूँ मैं खुद को सौंप कर तुझ को मैं खोना चाहता हूँ अब..!” #love Dear Diary✍🏻 जज्बात-ए-ख़्वाहिश कथायति