जब जब चांद ने शर्म से पर्दा किया है, तब तब घनघोर अंधेरा हुआ है। खिलने दो कलियों को, महकने दो चमन, रोशन हो जहाँ और मन का भरम, फिर देखो खुशियों से खिलता चाँद, शीतल हवा में मुस्काते सितारे। ऐसी हो खूबसूरत दुनियां हमारी, जब तब हमको सिर्फ यह भरम हुआ है। written by:- संजय सक्सेना प्रयागराज। ©Sanjai Saxena #Her