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समझ नहीं पाया बुझ नहीं पाया व्याकुलता को दो रुपों

समझ नहीं पाया
बुझ नहीं पाया व्याकुलता को
दो रुपों को
एक चुप्पी को,दूसरा प्रसन्नता को।।
उसके सामने बैठ 
हर पल नज़रे झुकी रही
अपनी धुन में मग्न हुं
  ऐसा जताती रही
लेकिन खुद को सताती रही
पर झुकी नज़रे होकर भी
बस उसको ही मन से निहारती रही
कुछ और सब्र रख
खुद को बतलाती रही
 समझाती रही
जब उठ जाये वह सामने से
तो चले जाते उसे देख 
कुछ पल और ठहर जा
बस हृदय से यही पुकारती रही।।

©Bhaरती
  #चंद_अल्फ़ाज़✍️
bhartikotlu8620

Bhaरती

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चंद_अल्फ़ाज़✍️ #Quotes

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