ये तो किसी मोजिज़ा से कम नहीं 'एकलाख' उसको पाने की चाहत एकदम ही ख़त्म हो गयीं तू तो कहता था तेरी चाहत सुमन्द्र के नीर तरह हैं जो क़भी ख़त्म हो ही नही सकता ©Eklakh Ansari #मोजिज़ा