हस्ती को कबकी लुट चुकी है चाहे बहा दो चाहे उड़ा दो ख़ाक-ए-राख़ ग़लतफैहमी में तुम जिओ और बाज़ार में बेआबरू मैं होकर नीलाम हो जाऊं अब किसी के पास ये मंज़िल जाती है नहीं मेरे दिन आएं हैं सुहाने... अल्लाह कि सूरत अब तो हर समय दिख जाती No Caption :- #yqbaba #yqdidi #dard #alone #dhruvi_kriplani #dil_ke_alfaaz_23 #YourQuoteAndMine Collaborating with Dhruvi Kriplani