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ढूंढ के आज कुछ पुराना लेकर आते हैं, चलो उन यादों क

ढूंढ के आज कुछ पुराना लेकर आते हैं,
चलो उन यादों के जंगल में गुम हो जाते हैं।

टोकती थी तुम जो मेरी हर गलत बात पर,
उन बातों को आज फिर से दोहराते हैं।

सर्द मौसम में जो चले हाथों में हाथ डालकर,
चलो वैसा ही आज फिर हसीं समा बनाते हैं।

जहाँ मैं डूब जाऊँ तेरी झील सी निग़ाहों में,
अब ऐसे यादों के जंगल में गुम हो जाते हैं। ढूंढ के आज कुछ पुराना लेकर आते हैं,
चलो उन यादों के जंगल में गुम हो जाते हैं।

टोकती थी तुम जो मेरी हर गलत बात पर,
उन बातों को आज फिर से दोहराते हैं।

सर्द मौसम में जो चले हाथों में हाथ डालकर,
चलो वैसा ही आज फिर हसीं समां बनाते हैं।
ढूंढ के आज कुछ पुराना लेकर आते हैं,
चलो उन यादों के जंगल में गुम हो जाते हैं।

टोकती थी तुम जो मेरी हर गलत बात पर,
उन बातों को आज फिर से दोहराते हैं।

सर्द मौसम में जो चले हाथों में हाथ डालकर,
चलो वैसा ही आज फिर हसीं समा बनाते हैं।

जहाँ मैं डूब जाऊँ तेरी झील सी निग़ाहों में,
अब ऐसे यादों के जंगल में गुम हो जाते हैं। ढूंढ के आज कुछ पुराना लेकर आते हैं,
चलो उन यादों के जंगल में गुम हो जाते हैं।

टोकती थी तुम जो मेरी हर गलत बात पर,
उन बातों को आज फिर से दोहराते हैं।

सर्द मौसम में जो चले हाथों में हाथ डालकर,
चलो वैसा ही आज फिर हसीं समां बनाते हैं।