उड़ा जो परिंदा बादलो में अपने पंख आजमाने को अभिमान में नादान परिंदा जो न सका जमाने को अनभिज्ञ सा अनजान परिंदा भूल बैठा जमाने को तरकश लिए बैठे हैं अपने ही अपना तीर लगाने को लगा निशाना अपने का ही आसमा से नीचे गिराने को भोला भाला परिंदा गवा बैठा हुनर खुद को आजमाने का उड़ा जो परिंदा बादलो में अपने पंख आजमाने को #nojoto #kavishala #poetry #kavita #jaipur