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धीरे-धीरे से बढ़ता सफर और सूरज की आहट, चलते दरख़

धीरे-धीरे से बढ़ता सफर और सूरज की आहट,  
चलते दरख़्त, दौड़ती फिजाएं, हवा की सनसनाहट।  
दिल ठहरता हुआ सा, दिल मचलता हुआ देख,  
कुदरत की ये जवानी, पहाड़ों की सजावट।  

नदी की मचलती धार, झरनों की कलकल,  
फूलों की महक और परिंदों कि हलचल 
नीले आसमान में तैरते सफेद बादलों के रंग,  
धरती पर फैली हरियाली और वादियों का संग।  

ये मंजर, ये बहारें, जैसे कोई सपना हो साकार,  
खुदा की इस कारीगरी का नज़ारा है बेमिसाल।  
दिल करता है बस यूँ ही खो जाएं इन लम्हों में,  
सुकून मिले, छिप जाएं इन हसीन वादियों के गहनों में।
राजीव

©samandar Speaks
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