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तुझे पा कर जैसे मन्नत मुकम्मल हुई है, तू मुझ में आ

तुझे पा कर जैसे मन्नत मुकम्मल हुई है,
तू मुझ में आदत की तरह शामिल हुई है।

रिश्ता हमारे दरमियाँ तो सदियों का था,
वो मोहब्बत की घड़ी अब हासिल हुई है।

~Hilal Mukammal Ishq
तुझे पा कर जैसे मन्नत मुकम्मल हुई है,
तू मुझ में आदत की तरह शामिल हुई है।

रिश्ता हमारे दरमियाँ तो सदियों का था,
वो मोहब्बत की घड़ी अब हासिल हुई है।

~Hilal Mukammal Ishq