पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर आज के युवा उस पवित्र प्रेम के मर्म को भूलते जा रहे हैँ, जो कभी ब्रज की बांसुरी या रूहानी स्पर्श में मिलता था l तब वो इंतज़ार भी मीठा लगता था जो अपने साथी के मिलने की आस में कई बरस गुजार कर भी मुरझाता नहीं था l अपने प्रेम की प्रतीक्षा में भी कुंठा का भाव नहीं था l मगर आज ये प्रेम की शाख होटलों और बियर बार तक ही सिमित रह गयी हैँ l सूरत को तो छू लिया मगर सीरत नही छू पाए l मिलते हैँ एक ऐसी ही कहानी के साथ, जरूर सुने दिल ए ललित के जज़्बात ll founder of indradhanushpublication #liveshow #indradhanush