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कहानिया दिल से - LALIT MEGHWAL | Hindi Poetry

 पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर आज के युवा उस पवित्र प्रेम के मर्म को भूलते जा रहे हैँ, जो कभी ब्रज की बांसुरी या रूहानी स्पर्श में मिलता था l तब वो इंतज़ार भी मीठा लगता था जो अपने साथी के मिलने की आस में कई बरस गुजार कर भी मुरझाता नहीं था l अपने प्रेम की प्रतीक्षा में भी कुंठा का भाव नहीं था l मगर आज ये प्रेम की शाख होटलों और बियर बार तक ही सिमित रह गयी हैँ l सूरत को तो छू लिया मगर सीरत नही छू पाए l

मिलते हैँ एक ऐसी ही कहानी के साथ, जरूर सुने दिल ए ललित के जज़्बात ll

founder of indradhanushpublication

#liveshow
#indradhanush
 पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर आज के युवा उस पवित्र प्रेम के मर्म को भूलते जा रहे हैँ, जो कभी ब्रज की बांसुरी या रूहानी स्पर्श में मिलता था l तब वो इंतज़ार भी मीठा लगता था जो अपने साथी के मिलने की आस में कई बरस गुजार कर भी मुरझाता नहीं था l अपने प्रेम की प्रतीक्षा में भी कुंठा का भाव नहीं था l मगर आज ये प्रेम की शाख होटलों और बियर बार तक ही सिमित रह गयी हैँ l सूरत को तो छू लिया मगर सीरत नही छू पाए l

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पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर आज के युवा उस पवित्र प्रेम के मर्म को भूलते जा रहे हैँ, जो कभी ब्रज की बांसुरी या रूहानी स्पर्श में मिलता था l तब वो इंतज़ार भी मीठा लगता था जो अपने साथी के मिलने की आस में कई बरस गुजार कर भी मुरझाता नहीं था l अपने प्रेम की प्रतीक्षा में भी कुंठा का भाव नहीं था l मगर आज ये प्रेम की शाख होटलों और बियर बार तक ही सिमित रह गयी हैँ l सूरत को तो छू लिया मगर सीरत नही छू पाए l मिलते हैँ एक ऐसी ही कहानी के साथ, जरूर सुने दिल ए ललित के जज़्बात ll founder of indradhanushpublication #liveshow #indradhanush #Poetry

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