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दुनिया के इन उलझे से रास्तों पे कहीं एक कच्चा सा म

दुनिया के इन उलझे से रास्तों पे
कहीं एक कच्चा सा मकां होगा
जहां बर्तन टेढ़े मेढ़े होंगे, आदमी सीधा होगा 
ज़िन्दगी सरल सी जीता  होगा 
बात बात पे मुस्कुराता होगा

घर के आगे क्यारी होगी फूल होंगे 
ऊपर आसमां साफ़ होगा
सिक्के जेब मे भले ही चार हों
लेकिन पानी झरने से पीता होगा
बर्बादियों को तो चुटकी से उछाल देता होगा

...कहीं एक कच्चा सा मकां होगा
जहां एक आदमी सरल सा जीता होगा
 15/3/20
दुनिया के इन उलझे से रास्तों पे
कहीं एक कच्चा सा मकां होगा
जहां बर्तन टेढ़े मेढ़े होंगे, आदमी सीधा होगा 
ज़िन्दगी सरल सी जीता  होगा 
बात बात पे मुस्कुराता होगा

घर के आगे क्यारी होगी फूल होंगे 
ऊपर आसमां साफ़ होगा
सिक्के जेब मे भले ही चार हों
लेकिन पानी झरने से पीता होगा
बर्बादियों को तो चुटकी से उछाल देता होगा

...कहीं एक कच्चा सा मकां होगा
जहां एक आदमी सरल सा जीता होगा
 15/3/20

15/3/20