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माँ तब भी रोती थी, जब उसकी औलाद पेट मे लात मारती

माँ  तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद पेट मे लात मारती थी।
माँ  तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद को चोट लग जाती थी।
माँ तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद बुखार में तडपती थी।
माँ तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद खाना नहीं खाती थी और माँ  आज भी रोती है,
जब उसकी औलाद आज उसे खाना नहीं देती है।
फर्क बस इतना ही है कि माँ शिकायत किये बिना ही समझ जाती है
और हम शिकायत पर भी कुछ नहीं  समझते। ममता
माँ  तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद पेट मे लात मारती थी।
माँ  तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद को चोट लग जाती थी।
माँ तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद बुखार में तडपती थी।
माँ तब भी रोती थी,
जब उसकी औलाद खाना नहीं खाती थी और माँ  आज भी रोती है,
जब उसकी औलाद आज उसे खाना नहीं देती है।
फर्क बस इतना ही है कि माँ शिकायत किये बिना ही समझ जाती है
और हम शिकायत पर भी कुछ नहीं  समझते। ममता

ममता