जलेगा घर अगर मेरा , जमाना फूंक डालूंगा, बशर कमजोर ना समझो,कि खाली बद्दुआ देगा ।। यहां शीशे की दुनिया है, तो पत्थर फेंक ही तुम दो, कहीं जो गर इधर आया, उधर भी खूब बरसेगा ।। थोड़ा इतिहास भी देखो, थोड़ा भूगोल भी जानो, जहां पे घर बनाया है, वहां शमशान होता था । प्रेत तक खाक कर डाले,महज तुम राख ना समझो, जो इसको हाथ में लेगा,कसम वो हाथ ना होगा ।। ©D.P. Singh दिल की आग