शोर ख़ामोशियों के शोर से, तन्हाईयाँ समेट कर, यादों के सफ़र पे ,चल निकलो आंसुओं के सैलाब से, मन के उस ग़ुबार से, हो सके तो जल्द निकलो क्योंकि ज़िन्दगी इंतज़ार कर रही है बाहें फैलाये इक हसीं सफ़र पे कहीं दूर ले जाये ।। अशरफ फ़ानी कबीर #शोर