आँखों में अपनी मैं, ख़्वाब लिए फ़िरता हूँ..... रिश्ता एक बेहद, नायाब लिए फ़िरता हूँ..... हिज्र का तो दूर तक, मतलब न था उससे........ इश्क भी हमको कभी, बेमतलब न था उससे....... इश्क होना था उससे, इश्क हो गया है हमको...... ज़िंदगी में कुछ भी हो, कभी भूलेंगे न तुमको........ ग़लती हो गर तुमसे, हम ही मांग लेंगे माफ़ी....... क्या इश्क में तुम्हार, इतना करना है काफ़ी......... आओगे कभी तो तुम्हें, सीने से लगा लूँगा मैं.......... तुम्हारी पुरानी बातों को, पूरी तरह भुला दूँगा मैं........ जल्दी से आ जाओ, हम मिलकर बात करते है..... अपने रिश्ते की अब, नई शुरुआत करते हैं.......... ©Poet Maddy आँखों में अपनी मैं, ख़्वाब लिए फ़िरता हूँ..... #Eyes,#Dreams#Relation#Meaning#Life#Forget.......