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~© अंजली राय गंगा हमेशा निर्मल निर्झर रही जिसकी अन

~© अंजली राय गंगा हमेशा निर्मल निर्झर रही
जिसकी अन्तिम छोर से 
उठी भाव लहरों ने 
पवित्रता की परिसिमा के 
उस असीम सागर को एक 
क्षण में बांध दिया ।

जब भी मन के ज्वार भाटे
~© अंजली राय गंगा हमेशा निर्मल निर्झर रही
जिसकी अन्तिम छोर से 
उठी भाव लहरों ने 
पवित्रता की परिसिमा के 
उस असीम सागर को एक 
क्षण में बांध दिया ।

जब भी मन के ज्वार भाटे