अँधेरा है चारों ओर एक उम्मीद काफी है, नफरतों के सायों में जीने को एक वजह काफी है, अभी देखी कहाँ है दुनिया, अभी बहुत चलना बाकी है, कश्ती बच गयी हस्ती भी, अभी तूफान थमना बाकी है, हमने सदा अपने ही जोड़े, पराये चुनना क्या काफी है, मुकम्मल हालात सोचते-2, अब किस्मत बदलना बाकी है, खुद को बदल पाना ही, क्या सबसे मुश्किल है, वक्त के साथ बदलना काफी है। ©Priya Gour 🖤🖤 #Hope #realityoflife #26mar 11:12 #NojotoWriter #nojotowriters