इंसानियत अब बची कहां है हर चौराहे पर खड़े हैं उसका जिस्म नोचने क्या उनकी जननी मां नही है क्या वो इज्जत लाज नहीं रखते राखी की क्या वो नहीं करते अपनी बेटी का कन्यापूजन या कन्यादान जो होती हैं ईश्वर की वरदान जिस्म क्या रूह को भी छलनी कर देते है जिस्म रूह को घायल कर चौराहे पर फेंक देते हैं फिर कहां से इतनी हिम्मत आ जाती खिलवाड़ उसके संग करने की क्या उनकी रूह नहीं कांपता ऐसा करने से क्या वो एक सिर्फ वस्तु है या एक इंसान तेरी ये हरकत देख खुदा भी हो होगा शर्मसार यहां हर नारी एक देवी जहां हर नारी हैं जाती पूजी। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_192 👉 इंसानियत को दाग़दार करना मुहावरे का अर्थ --- इंसानियत के खिलाफ कोई काम करना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।