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ज्ञानवान कौन ? इनके लक्षण - जो अच्छे कर्म करें ; ब

ज्ञानवान कौन ? इनके लक्षण - जो अच्छे कर्म करें ; बुरोको छोरे ; नस्तिकपना ना रखें ; वेद और शास्त्र पर विश्वास रखें ;
जिनमे क्रोध , हर्ष , गर्व , निर्लज्जता और अभिमान ना हो और जिसकी गुप्त बात कोई दूसरा ना जाने ; जो शीत , उष्ण , भय , प्रीति , मातवरी , गरीबी , के कारण अपने कार्य में विघ्न ना आने दें ; जो उचित कार्य करके धीरे धीरे संसार के विशय भोग छोर के अपना चित्त मोक्ष मार्गमे लगाए ; जो अपने योग्यता अनुसार सोचे ; अपनी शक्ति अनुसार काम पसारे ; किसी का अपमान ना करे ; जो किसी के भी कहीं बातों को  जल्दी से समझ लें ; जहां शंका हो और बिना घबराए जो निश्चय करें  ; बिना आग्रह किए दूसरे की बात में जो ध्यान ना लगाए ; जो खुदको नहीं मिल सकता उस वस्तु की इच्छा ना रखे ; जो चली गई या खो गई वस्तु को लेकर ना सोचे ; चाहे जो भी परिस्थिति आ जाए या कितनी भी भारी संकट आ जाए अपने मन और बुद्धि को इस्थिर रखने में जो सक्षम हो ; जिस काम को शुरू किया उसे जो पूरा करे ; कोई भी काम करने से पहले पूरी तरह से विचार करें ; वृथाकाल ना खोए ; जो अपने मन को स्वाधीन रखे ; जो अपने से बड़ों के कर्म को देखकर संतोष करे और उनके कहे गए हित वचन को सुने ; जो अपनी प्रशंसा सुनकर आनंदित ना हो ; जो अपमानित होने से दुखी ना हो ; जो सभी वस्तु को नाशवंत समझे ; जो सभी कार्यों की योजना जानता हो और प्रयास करना भी जानता हो ; जो सभा में बहोत सोच विचार करके बोले ; जिसे रस्युक्त तर्क करना आता हो ; जो समय के गंभीरता को सोच सोमझकर कोई भी वाणी बोले ; जो किसी भी बात को कहने के समय निडर और संदेह की भावना से मुक्त होकर अपनी बात रखें ; जो किसी भी बात का सारांश जल्दी बोलना जाने ; जो वाजिब बात को सबके सामने बोले ; जो अपने से बरोकी मर्यादा को ना तोरे ; जो बहोत द्रिव्यवान है , विद्यावान है , ऐश्वर्यवान है  फिर भी अभिमान नहीं करता है ।

©Banbihari The Real Words...
#Gyaan #sanskriti #Mahabharat 

The Words towards Peace & Moksh.....😌😌

#vidurniti
ज्ञानवान कौन ? इनके लक्षण - जो अच्छे कर्म करें ; बुरोको छोरे ; नस्तिकपना ना रखें ; वेद और शास्त्र पर विश्वास रखें ;
जिनमे क्रोध , हर्ष , गर्व , निर्लज्जता और अभिमान ना हो और जिसकी गुप्त बात कोई दूसरा ना जाने ; जो शीत , उष्ण , भय , प्रीति , मातवरी , गरीबी , के कारण अपने कार्य में विघ्न ना आने दें ; जो उचित कार्य करके धीरे धीरे संसार के विशय भोग छोर के अपना चित्त मोक्ष मार्गमे लगाए ; जो अपने योग्यता अनुसार सोचे ; अपनी शक्ति अनुसार काम पसारे ; किसी का अपमान ना करे ; जो किसी के भी कहीं बातों को  जल्दी से समझ लें ; जहां शंका हो और बिना घबराए जो निश्चय करें  ; बिना आग्रह किए दूसरे की बात में जो ध्यान ना लगाए ; जो खुदको नहीं मिल सकता उस वस्तु की इच्छा ना रखे ; जो चली गई या खो गई वस्तु को लेकर ना सोचे ; चाहे जो भी परिस्थिति आ जाए या कितनी भी भारी संकट आ जाए अपने मन और बुद्धि को इस्थिर रखने में जो सक्षम हो ; जिस काम को शुरू किया उसे जो पूरा करे ; कोई भी काम करने से पहले पूरी तरह से विचार करें ; वृथाकाल ना खोए ; जो अपने मन को स्वाधीन रखे ; जो अपने से बड़ों के कर्म को देखकर संतोष करे और उनके कहे गए हित वचन को सुने ; जो अपनी प्रशंसा सुनकर आनंदित ना हो ; जो अपमानित होने से दुखी ना हो ; जो सभी वस्तु को नाशवंत समझे ; जो सभी कार्यों की योजना जानता हो और प्रयास करना भी जानता हो ; जो सभा में बहोत सोच विचार करके बोले ; जिसे रस्युक्त तर्क करना आता हो ; जो समय के गंभीरता को सोच सोमझकर कोई भी वाणी बोले ; जो किसी भी बात को कहने के समय निडर और संदेह की भावना से मुक्त होकर अपनी बात रखें ; जो किसी भी बात का सारांश जल्दी बोलना जाने ; जो वाजिब बात को सबके सामने बोले ; जो अपने से बरोकी मर्यादा को ना तोरे ; जो बहोत द्रिव्यवान है , विद्यावान है , ऐश्वर्यवान है  फिर भी अभिमान नहीं करता है ।

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rajakumar2317

Banbihari

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