पुष्प मत इठलाना, बनके कंठहार तुम। पुष्प मत इतराना, बनके पिय श्रृंगार तुम। लट से गूँथते हुये, स्पर्श तुम टटोलना। अंगुली के पोर पर, सुगंध भीनी छोड़ना। मिलन की हर साँझ में, बनना सूत्रधार तुम। श्यामल स्वप्न में भरना, इंद्रधनुषी प्यार तुम। ©Smriti_Mukht_iiha🌠 पुष्पक! ©स्मृति तिवारी ••✍✍✍ FB/IG❤👍 : #smriti_mukht_iiha ➖➖➖➖➖➖➖ #smit🖊