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White आग पानी में वो लगाता है ख़ूँ पसीने से जो नहा

White आग पानी में वो लगाता है
ख़ूँ पसीने से जो नहाता है

जब अँधेरे से डर नहीं लगता
तो चराग़ों को क्यूॅं जलाता है

रौशनी की कमी नहीं है पर
ये अँधेरा ही मुझको भाता है

मैंने ग़म पे कहे हैं इतने शेर
अब तो ग़म भी ग़ज़ल सुनाता है

रोज़ तन्हाई मुस्कुराती है
रोज़ दिल को कोई दुखाता है

©ABhishek Parashar #ghazal #sher #Shayari  poetry in hindi
White आग पानी में वो लगाता है
ख़ूँ पसीने से जो नहाता है

जब अँधेरे से डर नहीं लगता
तो चराग़ों को क्यूॅं जलाता है

रौशनी की कमी नहीं है पर
ये अँधेरा ही मुझको भाता है

मैंने ग़म पे कहे हैं इतने शेर
अब तो ग़म भी ग़ज़ल सुनाता है

रोज़ तन्हाई मुस्कुराती है
रोज़ दिल को कोई दुखाता है

©ABhishek Parashar #ghazal #sher #Shayari  poetry in hindi