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हमें मंजिल की अब क्या फिकर, जब रास्ते में हमसफर मि

हमें मंजिल की अब क्या फिकर,
जब रास्ते में हमसफर मिल गए!
थोड़े उदासी थे ख्वायलो में बहके;
अब तोह ख्वाईसोह को भी पर मिल गए!
तुम चाहो तोह बस रुक जाए यही पे,
हमें तो सहरके हरमोड़ में अपने घर मिल गए! 👉🏻 प्रतियोगिता- 580
विषय 👉🏻 🌹"मंज़िल"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
हमें मंजिल की अब क्या फिकर,
जब रास्ते में हमसफर मिल गए!
थोड़े उदासी थे ख्वायलो में बहके;
अब तोह ख्वाईसोह को भी पर मिल गए!
तुम चाहो तोह बस रुक जाए यही पे,
हमें तो सहरके हरमोड़ में अपने घर मिल गए! 👉🏻 प्रतियोगिता- 580
विषय 👉🏻 🌹"मंज़िल"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

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